नए कृषक विधेयक किसानो के साथ बड़ा धोखा उद्योगपतियों को बड़ा लाभ पहुँचाने की साज़िश:- सरफ़राज़ सिद्दीक़ी

केंद्र सरकार नए कृषि विधेयक लाकर एपीएमसी,तथा एमएसपी को ख़त्म करके मंडियो के अस्तित्व पर संकट खड़ा कर देगी।सरकार अम्बानी ,अड़ानी जैसे उद्योगपतियों को मालामाल करना चाहती है।तथा किसानो को सिर्फ़ एक फ़सल उगाने की मशीन बना देना चाहती है।यह बात समाजवादी पार्टी छात्रसभा के निवर्तमान प्रदेश सचिव सरफ़राज़ सिद्दीक़ी ने कही है।
पहला कृषि बिल,कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण)2020 भले ही सुनने मे अच्छा लगे किंतु इसके तहत एपीएमसी ख़त्म कर देने से मंडियो का अस्तित्व स्वतः समाप्त हो जाएगा।एपीएमसी(एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी) के ख़त्म होते निजी कम्पनियों को बढ़ावा मिलेगा और वो मनमाने दाम पर किसान की फ़सल ख़रीदेंगे जिससे किसान को बड़ी हानि उठानी पड़ेगी।इसके अलावा दूसरा क़ानून (कृषक क़ीमत आश्वासन सेवा पर क़रार विधेयक 2020 है) आसान शब्दों मे इसे कोंट्रेक्ट फ़ार्मिंग कहा जा सकता है। कांट्रेक्ट फ़ार्मिंग किसान अगर करता है तो कोई विवाद होने पर वो सिर्फ़ एसडीएम के पास जा सकता है जबकि पहले कोर्ट जा सकता था।इस तरह की पाबंदी क्यूँ लगाई गई इससे सरकार किसानो को बाँध रही है और कोरपोरेट कम्पनियों को खुला छोड़ रही है।तथा उन्हें अब किसी फ़सल की ख़रीद के लिए लाईसेंस की भी ज़रूरत नही होगी।इससे किसानो की निजता एवं शक्ती को सीधे तौर पर नुक़सान होगा।
इसके अलावा एमएसपी को लेकर कोई ठोस व्यवस्था ना होने के कारण किसान की फ़सल की कोई सरकारी क़ीमत सुनिशचित नही होगी।
जिस कारण किसान अपनी फ़सल को औने पौने दामों मे बेचने को विवश होगा।2015-2016 की कृषि गणना के अनुसार देश के 86 फ़ीसदी किसानो के पास छोटी जोत की ज़मीन है या यह वो किसान है जिनके पास दो हेक्टेयर से कम ज़मीन है।उधर इन कानूनो के अमल मे आने से बड़े उद्योगपतियों,व्यापारियों का लाभ होगा और किसान एपीएमसी ,मंडी,एमएसपी ख़त्म होने से कम दामों पर बड़े उद्योगपतियों और व्यापारियों को कम क़ीमत पर बेचने को विवश होगा।